रास लीला में श्री कृष्ण के अंतर्ध्यान होने के बाद गोपियाँ कृष्ण की खोज करती हैं: श्रीमद्भागवतम के दसवें स्कंध के अध्याय ३० में लीला का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे गोपियाँ, कृष्ण से अलग होकर रात से पीड़ित हो उनको खोजती हैं। जड़ चेतन सभी से उन्होंने कृष्ण का पता पूछ रही हैं। उन्होंने लता, वृक्ष और हिरण जैसे जानवरों से भी पूछा जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। उन्होंने एक स्थान पर राधा कृष्ण के चरण चिन्ह देखे और अंत में उन्होंने केवल श्री कृष्ण के चरण चिन्ह ही देखे जो कि कीचड़ में गहराई से दबे हुए थे। इसलिए उन्होंने अंततः पुष्टि की कि श्री कृष्ण ने राधा रानी को अपने कंधों पर बिठाया होगा। अंत में, उन्होंने कहा कि "राधा रानी" निश्चित रूप से सभी गोपियों में सबसे श्रेष्ठ आराधिका हैं और सभी भक्तों में श्री कृष्ण की सबसे श्रेष्ठ भक्त हैं, क्योंकि वे उनसे इतने प्रसन्न थे कि उन्होंने हमको छोड़ दिया और श्री राधा को एकांत स्थान पर ले आए।

रास लीला में श्री कृष्ण के अंतर्ध्यान होने के बाद गोपियाँ कृष्ण की खोज करती हैं: श्रीमद्भागवतम के दसवें स्कंध के अध्याय ३० में लीला का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे गोपियाँ, कृष्ण से अलग होकर रात से पीड़ित हो उनको खोजती हैं। जड़ चेतन सभी से उन्होंने कृष्ण का पता पूछ रही हैं। उन्होंने लता, वृक्ष और हिरण जैसे जानवरों से भी पूछा जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। उन्होंने एक स्थान पर राधा कृष्ण के चरण चिन्ह देखे और अंत में उन्होंने केवल श्री कृष्ण के चरण चिन्ह ही देखे जो कि कीचड़ में गहराई से दबे हुए थे। इसलिए उन्होंने अंततः पुष्टि की कि श्री कृष्ण ने राधा रानी को अपने कंधों पर बिठाया होगा। अंत में, उन्होंने कहा कि "राधा रानी" निश्चित रूप से सभी गोपियों में सबसे श्रेष्ठ आराधिका हैं और सभी भक्तों में श्री कृष्ण की सबसे श्रेष्ठ भक्त हैं, क्योंकि वे उनसे इतने प्रसन्न थे कि उन्होंने हमको छोड़ दिया और श्री राधा को एकांत स्थान पर ले आए।

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