शाम को घर लौटते श्रीकृष्ण और बलराम: श्रीकृष्ण और बलराम की लीला को चित्रित किया गया है, जो शाम को सभी ग्वाल बाल संग गाय चराने के बाद घर वापस आ रहे हैं। भगवान शिव श्री कृष्ण के प्रेम में लीन होकर वृंदावन में एक वृक्ष के नीचे छिपकर उस भव्य दृश्य को देख रहे हैं। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने अपने प्रसिद्ध पद में इस लीला का वर्णन इस प्रकार किया है: "धूसरी धूरी भरे हरि आवत।" यह सूर्यास्त का समय है, इसलिए श्याम सुंदर हजारों गायों के साथ अपने घर वापस आ रहे हैं और उनका नीला शरीर गायों के खुरों द्वारा उठी धूल से धूल धूसरित है।"सो "कृपालु" झाँकी झाँकत हित, शंभू समाधि भूलावत।" श्री कृपालु जी कहते हैं, "इस दृश्य की सुंदरता इतनी सुन्दर है कि भगवान शंकर ने भी अपनी समाधि के आनंद को त्याग दिया।

शाम को घर लौटते श्रीकृष्ण और बलराम: श्रीकृष्ण और बलराम की लीला को चित्रित किया गया है, जो शाम को सभी ग्वाल बाल संग गाय चराने के बाद घर वापस आ रहे हैं। भगवान शिव श्री कृष्ण के प्रेम में लीन होकर वृंदावन में एक वृक्ष के नीचे छिपकर उस भव्य दृश्य को देख रहे हैं। जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने अपने प्रसिद्ध पद में इस लीला का वर्णन इस प्रकार किया है: "धूसरी धूरी भरे हरि आवत।" यह सूर्यास्त का समय है, इसलिए श्याम सुंदर हजारों गायों के साथ अपने घर वापस आ रहे हैं और उनका नीला शरीर गायों के खुरों द्वारा उठी धूल से धूल धूसरित है।"सो "कृपालु" झाँकी झाँकत हित, शंभू समाधि भूलावत।" श्री कृपालु जी कहते हैं, "इस दृश्य की सुंदरता इतनी सुन्दर है कि भगवान शंकर ने भी अपनी समाधि के आनंद को त्याग दिया।

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