रसिकों द्वारा लिखी गई वाणी वृंदावन एवं ब्रजरस का मूल स्रोत है। जिसको भी इस रस में आगे बढ़ना है उसे इन वाणियों का आश्रय लेना होगा एवं रसिकों द्वारा बताए गए मार्ग में चलना होगा।
Order By:
Descending
Sort By:
Date Added
(2397) संकीर्तन उपलब्ध हैं
पेज 1 of 120
ब्रज-वासी-पटतर कोऊ नाहीं - श्री सूरदास, सूर सागर
ब्रजवासियों की बराबरी कोई नहीं कर सकता। जिन श्रीकृष्ण को ब्रह्मा, शिव, सनकादि आदि भी ध्यान में नहीं पा सकते, वही श्रीकृष्ण प्रेमवश ब्रजवासियों की जूठी थाली से अन्न ग्रहण करते हैं।