84 पदों से युक्त, रसोपासना पंथ के अनुयायियों के लिए रस महाकाव्य, श्री कृष्ण की मुरली अवतार श्री हित हरिवंश महाप्रभु के द्वारा लिखित श्री राधा कृष्ण की नित्य लीलाओं का संकलन है श्री हित चौरासी।
लेखक: श्री हित हरिवंश महाप्रभु
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मोहनलाल के रसमाती - श्री हित हरिवंश महाप्रभु, श्री हित चौरासी (20)
हे राधे ! तू मोहन लाल के रस में उन्मत्त है। हे नव वधू ! उस एकान्त मिलन की गोप्य बात को क्यों मुझसे छिपा रही है? इसीलिये न कि प्रथम स्नेह के कारण संकोच है !
चलि सुंदरि बोली वृंदावन - श्री हित हरिवंश महाप्रभु, श्री हित चौरासी (44)
(दूतिका ने श्रीप्रियाजी से कहा- ) हे सुन्दरि ! चलो !! तुम्हें ( प्रियतम ने ) वृंदावन में बुलाया है । हे कामिनि ! तुम तो हो दामिनि जैसी और मोहन नूतन घन की भाँति । तब फिर तुम उनके कण्ठ में ( घन में दामिनि की भाँति ) लग कर क्यों नहीं शोभित होती ?