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है चाह" कृपालु" मेरी, तेरी ही कहलाये - जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
"है चाह" कृपालु" मेरी, तेरी ही कहलाये,
भूले भटके कबहुँ, तव सेवा मिल जाये |"
- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज, ब्रज रस माधुरी
हे श्री राधा, मेरी यही इच्छा है कि मैं आपकी ही केवल कहलाऊँ, और भूले भटके देर से ही सही, मुझे आपकी सेवा प्राप्त हो जाए।
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7 years ago
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